सर्वनाम किसे कहते हैं (Sarvanam Kise Kahate Hain)
सर्वनाम किसे कहते हैं:- सर्वनाम एक विकारी शब्द है, जो कि दो शब्दों सर्व + नाम से मिलकर बना है जिसमें सर्व का अर्थ है- सबका अर्थात् सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है सबका नाम। सर्वनाम का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं किया जाता बल्कि संज्ञा शब्दों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए किया जाता है। सर्वनाम की परिभाषा और सर्वनाम के कितने भेद हैं के बारे में जानेंगे।
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सर्वनाम की परिभाषा
परिभाषा- जो शब्द पूर्वा पर संबंध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वाक्य में करने से वाक्य का अर्थ नहीं बदलता है, बल्कि वही अर्थ बना रहता है। जैसे- मैं, तुम, आप, यह, वह आदि सर्वनाम शब्द हैं। हिन्दी में कुल/मूल सर्वनाम की संख्या 11 है मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, ,क्या, कोई, कुछ किन्तु प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम के 6 भेद होते हैं।
सर्वनाम के कितने भेद हैं
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक (संकेतवाचक) सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
1. निजवाचक सर्वनाम
जो सर्वनाम शब्द वक्ता, श्रोता अथवा किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद/प्रकार होते हैं-
- उत्तम पुरुष- मैं, हम (मुझे, मैंने, मेरा मुझको, हमको, हमें आदि)
- मध्यम पुरुष- तू, तुम, आप (तुझे, तुझको, आपको, आपके आदि)
- अन्य पुरुष- यह, वह, ये, वे (उन, उनको, उन्हें, इन्हें, उसके, इसने आदि)
1. उत्तम पुरुष
वक्ता या लेखक जिन शब्दों का प्रयोग स्वयं अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे- मैं, हम लेकिन सर्वनाम में कारकों की विभक्तियाँ लगाने से इनके रूप में परिवर्तन (विकृति) हो जाता है और मै और हम के अलावा भी कई शब्दों का निर्माण हो जाता है, जो कि उत्तम पुरुष के अन्तर्गत ही आते हैं। जैसे- मैं, हम, मुझे, मेरा, मुझको, मैंने, हमें, हमको आदि।
- मैं बनारस जा रहा हूँ।
- हम शादी में जा रहे हैं।
2. मध्यम पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला (वक्ता या लेखक), सुनने वाले (पाठक या श्रोता) के लिए करता है, उन्हें मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे- तू, तुम, आप। लेकिन सर्वनाम में कारकों की विभक्तियाँ लगाने से इनके रूप में परिवर्तन (विकार) हो जाता है और तू, तुम, आप के अलावा भी कई शब्दों का निर्माण हो जाता है, जो कि मध्यम पुरुष के अन्तर्गत ही आते हैं। जैसे- तू, तुम, आप, तुझे, तुमको, आपके, आपको आदि।
- तुम क्या करते हो?
- आपको क्या पसंद है?
3. अन्य पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का संबंध वक्ता (बोलने वाला) और श्रोता (सुनने वाला) से न होकर किसी अन्य से हो, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं, अर्थात् अन्य पुरुष शब्दों का प्रयोग बोलने एवं सुनने वाले के लिए न करके अन्य के लिए किया जाता है। जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
- यह क्या कर रहा है?
- वह क्रिकेट खेल रहा है।
कारक की विभक्तियों से बने अन्य शब्द- उनको, उनसे, उन्हें, इन्हें, इन्होंने, उसके, इसने आदि।
2. निश्चयवाचक (संकेतवाचक) सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम शब्द जो निकट (पास) या दूर स्थित किसी व्यक्ति या वस्तु की ओर निश्चयपूर्वक संकेत करे, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- यह, वह।
- वह मनुष्य नहीं देवता है।
- वह अभय की गाय है।
- यह मकान मेरे भाई का है।
- यह मेरी पतंग है।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त यह और वह शब्द किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत कर रहे हैं। अतः यहाँ निश्चयवाचक सर्वनाम है।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम शब्द जिससे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध (जानकारी) नहीं होता, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- कोई, कुछ।
- कोई आ रहा है।
- कुछ खाने को दो।
- कोई सज्जन आपको बुला रहे हैं।
- कोई आपसे मिलने आया है।
- कोई आया था।
उपर्युक्त वाक्यों में कोई और कुछ सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं हो रहा है। अतः यहाँ अनिश्चयवाचक सर्वनाम है।
4. संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम शब्द जो किसी दूसरे संज्ञा या सर्वनाम से संबंध स्थापित करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- जो, सो, जैसा, वैसा, वहाँ, जिसकी, उसकी, जैसी, वैसी आदि।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस।
- जो करेगा सो भरेगा।
- जैसी करनी वैसी भरनी।
- जैसा देश वैसा भेष।
उपर्युक्त वाक्यों में जिसकी, उसकी, जो, सो, जैसी, वैसी, जैसा, वैसा आदि शब्द संबंध स्थापित करने का कार्य कर रहे हैं। अतः ये सभी शब्द संबंधवाचक सर्वनाम हैं।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के स्थान पर तो आते ही हैं, किन्तु वाक्य को प्रश्नवाचक बनाते हैं, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं, अर्थात् जिन सर्वनाम शब्दों से किसी प्रश्न का बोध हो उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। प्रश्नवाचक सर्वनाम वाले वाक्यों के अन्त में प्रश्नवाचक चिन्ह (?) लगा रहता है। जैसे- क्या, कौन, कैसे।
- क्या आप घर भी जाएंगे?
- कौन खेल रहा है?
- यह काम कैसे होगा?
नोट- प्रश्नवाचक वाक्यों में कौन शब्द का प्रयोग प्राणियों के लिए एवं क्या शब्द का प्रयोग अप्राणिवाचक (निर्जीव) पदार्थों के लिए किया जाता है। क्या, कौन, कैसे शब्द वाक्य में प्रश्न पूछने का कार्य कर रहे हैं। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं। सर्वनाम किसे कहते हैं
6. निजवाचक सर्वनाम- [ आप, अपना, अपने आप, आप ही, स्वयं, निज, खुद ]
ऐसे सार्वनामिक शब्द जिनका प्रयोग स्वयं के लिए किया जाता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं या ऐसे सार्वनामिक शब्द जो तीनों पुरुषों (उत्तम, मध्यम एवं अन्य) में निजता (निजत्व) का बोध कराते हों, वे सभी निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे-
- मैं यह काम स्वयं कर लूँगा।
- मैंने अपना कार्य समाप्त कर लिया।
- मैं अपने आप चला जाऊँगा।
- मैं अपने भाई के साथ रहता हूँ।
- मैं आप ही खा लूँगा।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण तथ्य
- सर्वनाम के कुल 6 भेद होते हैं।
- कोई, कुछ अनिश्चियवाचक सर्वनाम हैं।
- सब कोई, सब कुछ, कोई भी, कोई और, जो कोई, और कोई, और कुछ, कोई एक, हर कोई, जो कुछ, कोई-न कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई आदि संयुक्त सर्वनाम हैं।
- संयुक्त सर्वनाम स्वतंत्र रूप से अथवा संज्ञा शब्दों के मेल से बनते हैं।
- सर्वनाम का रूपांतरण पुरुष, वचन एवं कारक के आधार पर होता है।
- सर्वनाम में सात कारक होते हैं, इसमें संबोधन कारक नहीं होता है।
- यह, वह निश्चयवाचक सर्वनाम है।
- आप, अपना, अपने आप, स्वयं निजवाचक सर्वनाम हैं।
- हिन्दी भाषा में कुल 11 सर्वनाम हैं।
- जो सर्वनाम संज्ञा शब्दों के मेल से बनते हैं, उन्हें संयुक्त सर्वनाम कहते हैं।
- सर्वनाम विकारी शब्द है।
- पुरुष वाचक सर्वनाम के 3 भेद हैं- (1) उत्तम पुरुष (2) मध्यम पुरुष (3) अन्य पुरुष ।
- यद्यपि सर्वनाम विकारी शब्द है परन्तु, लिंग के कारण इसमें परिवर्तन नहीं होता।
- सर्वनाम में वचन एवं कारक के आधार पर विकार (परिवर्तन) होता है।
- सर्वनाम का पद परिचय बताते समय सर्वनाम, सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका संबंध बताना जरूरी होता है।
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